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लेखनी कहानी -23-Feb-2023 लोकतंत्र की हत्या

लो जी, आज लोकतंत्र की फिर हत्या हो गई । न जाने कितनी बार हत्या हो चुकी है लोकतंत्र की । फिर भी ये लोकतंत्र है कि मरता ही नहीं । अरे, जब लोकतंत्र मरा ही नहीं तो हत्या कैसे हुई  ? अब ये तो वही जानें जो चिल्ला चिल्ला कर रोज सुबह शाम कहते रहते हैं कि लोकतंत्र की हत्या हो गई है । वैसे यह हत्या सन 2014 से ही हो रही है उससे पहले तो लोकतंत्र बहुत हृष्ट-पुष्ट था , मुस्टंडा था और इस लोकतंत्र को "आपात कालीन" काजू बादाम खिला खिला कर पहलवान बना दिया गया था । तब शायद ये लोकतंत्र ऐसा था कि मस्त मगन होकर भांगड़ा करता था । मगर बुरा हो जनता का जिसने एक खानदान को "सड़कों" पर ला दिया है । बस, उसी दिन से लोकतंत्र की रोज हत्या हो रही है । 

जो लोग खुद को लोकतंत्र के रखवाले बता रहे हैं और लोकतंत्र की हत्या का रोना रो रहे हैं उनसे पूछा कि भाई ये लोकतंत्र की हत्या किसने की और कहां की ? तो ये लोग मुझ पर ही टूट पड़े और कहने लगे 
"कैसे आदमी हो जो तुम्हें ये भी नहीं पता कि लोकतंत्र की हत्या एक बार नहीं, रोज रोज हो रही है । कौन करता है ये भी जग जाहिर है । रही बात समय की तो ये हत्या अभी अभी हुई है" वह झल्लाता हुआ बोला 
"पर हुआ क्या , ये तो बताओ" ? 
"हमारे राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा जी को पुलिस उठाकर ले गई । अब आप ही बताओ कि ये लोकतंत्र की हत्या है या नहीं" ? 
"पुलिस क्यों ले गई आपके प्रवक्ता जी को" ? 
"उन पर झूठी FIR दर्ज करा दी है कि उन्होंने मोदी के बाप को अपशब्द कहे हैं । पर उन्होंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं तो फिर रिपोर्ट किस बात की" ? 
"मोदी जी हमारे पी एम हैं, सम्मान से नाम लो उनका" 
"हम तो ऐसे ही कहेंगे और गाली भी देंगे क्योंकि इससे हमारा नेता खुश होता है और हमें ईनाम में कोई पद मिल जाता है । रही बात पवन खेड़ा जी के वक्तव्य की तो उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है" 
"पर वीडियो में तो साफ साफ दिखाई और सुनाई दे रहा है कि वे नरेंद्र गौतम दास मोदी बोल रहे हैं और फिर हंस भी रहे हैं जो यह बता रहा है कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है प्रधानमंत्री जी को बदनाम करने के लिए । फिर एक बात बताओ कि आप लोग ही तो कहते हो कि जांच हो जाने दो , जांच से क्या डरना ? तो इसकी भी जांच हो जाने दो, अगर झूठी FIR है तो कुछ नहीं होगा । फिर डर कैसा ? और ये लोकतंत्र की हत्या कैसे हुई" ? 
"सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विपक्ष को कुछ भी बोलने की छूट दे, विपक्ष चाहे दिन में पचास बार गाली दे तो भी सरकार विपक्ष की वाह वाही करे । सरकार की यह भी जिम्मेदारी है कि वह हमारे नेता को सरकार से भी बड़ा माने क्योंकि इस देश पर राज करने का केवल उनको ही अधिकार है और किसी को नहीं" 
"आपके नेता मतलब खड़गे जी" ? 

मेरी बात पर वे लोग बहुत जोर से हंसे और बोले "आप कितने पप्पू हैं जो आपको ये भी नहीं पता कि हमारे नेता कौन हैं ? खड़गे जी तो बस 'खड़ाऊ' हैं असली नेता तो महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, बाल ब्रहमचारी जनेऊधारी ब्राह्मण दत्तात्रेय गौत्रीय खानदानी युवराज हैं जो आजकल 'तपस्वी' बने हुए हैं" । 
"आपने मुझे पप्पू कहकर मेरा मान सम्मान बढा दिया है । बहुत बहुत आभार आपका । तो आपके नेता 'श्री श्री 1008 श्री पप्पू जी महाराज' विदेश यात्रा पर हैं क्या ? दिखाई नहीं दे रहे हैं आजकल" 
"आपकी हिम्मत कैसे हुई हमारे नेता को पप्पू कहने की" ? वे मुझ पर पिल पड़े ।
"जैसे आपकी हुई मुझे पप्पू कहने की" मैं मुस्कुरा दिया 
इस बात से वे खफा हो गये और बोले "साले, *** की औलाद । अभी बताते हैं तुझे कि पप्पू कौन है" ? और वे लोग मेरे पीछे दौड़ पड़े । 
"आप लोग तो अभिव्यक्ति की आजादी के दीवाने हैं, परवाने हैं । मेरी भी अभिव्यक्ति की आजादी है और मैंने तो कुछ गलत भी नहीं कहा है जबकि तुम लोग तो गालियां भी दे रहे हो । कुछ तो शर्म करो" । 
"अभिव्यक्ति की आजादी केवल हमको है बाकी और किसी को नहीं है । और कोई अगर कुछ बोलेगा तो हम लोग उसकी हड्डी पसली तोड़कर रख देंगे । समझे" ? 
"मैं तो बहुत पहले ही समझ गया था पर बेचारी जनता अब समझ रही है । सोशल मीडिया ने "खैरातियों" की दुकानें बंद कर दी है और वे यू ट्यूबर बने गली गली में चप्पल चटकाते घूम रहे हैं । वैसे एक बात बतला दूं कि इस देश में सबसे पहले लोकतंत्र की हत्या तुम्हारे बापू यानि कि महात्मा गांधी ने ही की थी । जब कॉग्रेस ने सुभाष चंद्र बोस को अपना अध्यक्ष निर्वाचित कर लिया और महात्मा गांधी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया को पराजित कर दिया तो उन्हीं महात्मा गांधी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को काम नहीं करने दिया और उनकी राह में रोड़ा डालने के लिए जवाहर लाल नेहरू जैसे लोगों को आगे कर दिया । आखिर कार नेताजी सुभाष चंद्र बोस को महात्मा गांधी के विरोध के कारण स्तीफा देना पड़ा । भारत में लोकतंत्र की हत्या का यह पहला उदाहरण है । 

इसके पश्चात दूसरा उदाहरण भी महात्मा गांधी का ही है । जब अंग्रेज भारत को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हो गये थे तब भारत के प्रधानमंत्री के पद के लिए कॉग्रेस में चुनाव करवाये गये । 11 लोगों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को चुना और एक व्यक्ति स्वयं जवाहर लाल नेहरू ने नेहरू को वोट दिया था । इसके बावजूद महात्मा गांधी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके नेहरू को प्रधानमंत्री बनवा दिया । इसे कहते हैं लोकतंत्र की हत्या । राज्य सरकारों को बर्खास्त करने का रिकॉर्ड किसने बनाया ? उसी इन्द्रा गांधी ने जिसने देश पर आपातकाल थोपा था । खानदान के अलावा और कोई नेता नहीं है तुम्हारे पास अपना अध्यक्ष चुनने को ? लोगों के सामने "त्याग" का नाटक करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती और किसी "कठपुतली" को प्रधानमंत्री बना देते हो तो कभी किसी "खड़ाऊ" को सिंहासन पर बैठा देते हो । तुम्हारे कारनामे तो इतने ज्यादा हैं कि गिनाते गिनाते सुबह से शाम हो जाएगी पर ये खत्म नहीं होंगे" मैं भी अब गुस्से से उबल पड़ा । 

मेरी बात सुनकर वे बड़ी बेशर्मी से हंसे और बोले "सरकार होगी तुम्हारी पर सिस्टम तो हमारा है । देखना अभी दो मिनट में पवन खेड़ा की सुप्रीम कोर्ट में जमानत हो जायेगी" और वे सब के सब लोग धूर्तता से अट्टहास करने लगे । 

थोड़ी देर में सभी न्यूज चैनल्स पर ब्रेकिंग न्यूज चलने लगी "सुप्रीम कोर्ट से पवन खेड़ा को राहत । सुप्रीम कोर्ट ने सभी FIR को क्लब करने के आदेश दिए और पवन खेड़ा को जमानत भी दे दी" 

जनता को लगने लग गया है कि सरकार बदल गई है तो क्या हुआ "सिस्टम" तो अभी वही का वही है । 

श्री हरि 
23.2.23 


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5 Comments

बहुत ही बेहतरीन और मजेदार व्यंग

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Renu

26-Feb-2023 05:00 PM

👍👍🌺

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Hari Shanker Goyal "Hari"

26-Feb-2023 05:47 PM

💐💐🙏🙏

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Haaya meer

26-Feb-2023 04:36 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

26-Feb-2023 05:47 PM

💐💐🙏🙏

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